तेरा चेहरा !
>> शनिवार, 28 जुलाई 2012 –
गज़ल
ईद का चाँद नज़र आता है मुझे, तेरा चेहरा !
हर घड़ी हर पल नज़र आता है मुझे, तेरा चेहरा !!
जब भी पढ़ने बैठता हूँ मैं, गीता या कुरान !
हर पन्ने पे नज़र आता है मुझे, तेरा चेहरा !!
मैं तुमसे भागकर इस ज़माने में कहाँ जाऊँगा !
कि हर इंसान में नज़र आता है मुझे, तेरा चेहरा !!
मैं कहीं भी चला जाऊ , इतनी बड़ी दुनिया में !
ज़र्रे-ज़र्रे में नज़र आता है मुझे, तेरा चेहरा !!
ईश्वर हो, अल्लाह हो, वाहे-गुरू हो , या गोड !
हर एक फ़रिश्ते में नज़र आता है मुझे, तेरा चेहरा !!
मेरे इस दर्दे-मोहब्बत की इन्तहां देखो !
मौत में भी नज़र आता है मुझे, चेहरा तेरा !!
प्रमोद मौर्या "प्रेम "
बहुत सुन्दर गज़ल!
कल आपकी पोस्ट की चर्चा चर्चा मंच पर भी की थी मगर आपने वहाँ कोई कमेंट नहीं किया।
बहुत प्यारी रचना के लिए बधाई |
आशा
सुंदर...