मत छोड़ मुझे इन राहों में !
>> गुरुवार, 26 जुलाई 2012 –
गज़ल
ऐ काश कि तुम आ जाओ, और भर लो मुझको बाहों में !
मैं तुमसे मोहब्बत करता हूँ, मत छोड़ मुझे इन राहों में !!
तेरी राह तकूँ मैं वरसों से, बनकर सुर मैं साज़ों में !
मैं तुमसे मोहब्बत करता हूँ, मत छोड़ मुझे इन राहों में !!
आयेगा तू है मुझको यकीं , बनकर चाँद अँधेरी रातों में !
मैं तुमसे मोहब्बत करता हूँ, मत छोड़ मुझे इन राहों में !!
लो आज की रात भी बीत गयी, तेरी खट्टी-मीठी यादों में !
मैं तुमसे मोहब्बत करता हूँ, मत छोड़ मुझे इन राहों में !!
अब आ भी जा और देर न कर, बस जा तू मेरी निगाहों में !
मैं तुमसे मोहब्बत करता हूँ, मत छोड़ मुझे इन राहों में !!
प्रमोद मौर्या "प्रेम"
बहुत बढ़िया!
अन्य लोगों के ब्लॉग पर भी तो टिप्पणिया दिया करो!
सुंदर !
मोह्ब्बत करते हो अच्छा किया बता दिया
मोह्ब्बत करने ने देखो तुमको कवि बना दिया !
बेलाग बिंदास अंदाज़ है आपके , ,दो टूक ,बिंदास गजल ..कृपया यहाँ भी पधारें -
कविता :पूडल ही पूडल
कविता :पूडल ही पूडल
डॉ .वागीश मेहता ,१२ १८ ,शब्दालोक ,गुडगाँव -१२२ ००१
जिधर देखिएगा ,है पूडल ही पूडल ,
इधर भी है पूडल ,उधर भी है पूडल .
(१)नहीं खेल आसाँ ,बनाया कंप्यूटर ,
यह सी .डी .में देखो ,नहीं कोई कमतर
फिर चाहे हो देसी ,या परदेसी पूडल
यह सोनी का पूडल ,वह गूगल का डूडल .
बेहतरीन ग़ज़ल...
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
सादर।
आयेगा तू है मुझको यकीं , बनकर चाँद अँधेरी रातों में !
मैं तुमसे मोहब्बत करता हूँ, मत छोड़ मुझे इन राहों में !!
बहुत खूब ...
bahut sundar