मेरे पसन्दीदा गायक :- "रफ़ी साहब " !
>> गुरुवार, 19 जुलाई 2012 –
"रफ़ी साहब "
मुहम्मद रफ़ी (जन्म- 24 दिसम्बर 1924, अमृतसर, पंजाब; मृत्यु- 31 जुलाई 1980 मुंबई, महाराष्ट्र) हिन्दी सिनेमा के श्रेष्ठतम पार्श्व गायकों में से एक थे। जिन्होंने क़रीब 40 साल के फ़िल्मी गायन में 25 हज़ार से अधिक गाने रिकॉर्ड करवाए। अपनी आवाज़ की मधुरता और परास की अधिकता के लिए इन्होंने अपने समकालीन गायकों के बीच अलग पहचान बनाई। इन्हें 'शहंशाह-ए-तरन्नुम' भी कहा जाता था।
रफ़ी साहब मेरे पसन्दीदा गायक है ! उनके गाये हर गीत मेरे दिल को छू कर गुजरती है !
पेश है उनका गाया हुआ ये गीत ...
वो जब याद आए, बहुत याद आए
वो जब याद आए, बहुत याद आए
गम-ऐ-जिंदगी के अंधेरे में हमने
चिराग-ऐ-मोहब्बत जलाये-बुझाये
वो जब याद आए, बहुत याद आए
आहटे जाग उठी रास्तें हँस दिए
थामकर दिल हम किसी के लिए
कई बार ऐसा भी धोका हुआ है
चले आ रहे है वो नजरें झुकाए
वो जब याद आए, बहुत याद आए
गम-ऐ-जिंदगी के अंधेरे में हमने
चिराग-ऐ-मोहब्बत जलाये-बुझाये
वो जब याद आए, बहुत याद आए
दिल सुलगने लगा अस्ख बहने लगे
जाने क्या-क्या हमे लोग कहने लगे
मगर रोते-रोते हसीं आ गई है
ख्यालों में आके वो जब मुस्कुराये
वो जब याद आए, बहुत याद आए
वो जुदा क्या हुए, जिंदगी खो गई
शम्मा जलती रही, रौशनी खो गई
बहुत कोशिशे की मगर दिल न बहला
कई साज छेड़े कई गीत गाये
वो जब याद आए, बहुत याद आए
वो जब याद आए, बहुत याद आए
गम-ऐ-जिंदगी के अंधेरे में हमने
चिराग-ऐ-मोहब्बत जलाये-बुझाये
वो जब याद आए, बहुत याद आए
आहटे जाग उठी रास्तें हँस दिए
थामकर दिल हम किसी के लिए
कई बार ऐसा भी धोका हुआ है
चले आ रहे है वो नजरें झुकाए
वो जब याद आए, बहुत याद आए
गम-ऐ-जिंदगी के अंधेरे में हमने
चिराग-ऐ-मोहब्बत जलाये-बुझाये
वो जब याद आए, बहुत याद आए
दिल सुलगने लगा अस्ख बहने लगे
जाने क्या-क्या हमे लोग कहने लगे
मगर रोते-रोते हसीं आ गई है
ख्यालों में आके वो जब मुस्कुराये
वो जब याद आए, बहुत याद आए
वो जुदा क्या हुए, जिंदगी खो गई
शम्मा जलती रही, रौशनी खो गई
बहुत कोशिशे की मगर दिल न बहला
कई साज छेड़े कई गीत गाये
वो जब याद आए, बहुत याद आए
रफी साहब को नमन!