ये बात समझ में नहीं आती !
>> बुधवार, 25 जुलाई 2012 –
गज़ल
कश्मकश में है जिंदगी , ये बात समझ में नहीं आती !
मैं तुमसे मोहब्बत करता हूँ या नफरत, ये बात समझ में नहीं आती !!
मैं तुमसे मोहब्बत करता हूँ ये बात तो सच है !
मैं तुमसे नफरत करता हूँ ये बात भी सच है !!
मैं तुमसे मोहब्बत ज्यादा करता हूँ या नफरत, ये बात समझ में नहीं आती !!
कश्मकश में है जिंदगी , ये बात समझ में नहीं आती !
मैं तुमसे मोहब्बत करता हूँ या नफरत, ये बात समझ में नहीं आती !!
मैं तुमसे मिलने को तड़पता हूँ ये बात सच है !
मैं तुम्हें भूल जाना चाहता हूँ ये बात भी सच है !!
मैं तुम्हें वाकेई मिलना चाहता हूँ या भूलना, ये बात समझ में नहीं आती !!
कश्मकश में है जिंदगी , ये बात समझ में नहीं आती !
मैं तुमसे मोहब्बत करता हूँ या नफरत, ये बात समझ में नहीं आती !!
प्रमोद मौर्या "प्रेम"
बहुत सुन्दर भावप्रणव रचना।