इसलिए तेरा शहर छोड़ दिया !
>> सोमवार, 13 अगस्त 2012 –
गज़ल
मैं तुम्हें भूल जाऊं , इसलिए तेरा शहर छोड़ दिया !
मैं तुम्हें याद ना आऊँ, इसलिए तेरा शहर छोड़ दिया !!
इस शहर के हर नाके पर तू ही नज़र आता है !
मैं तुम्हें नज़र ना आऊं कहीं, इसलिए तेरा शहर छोड़ दिया !!
जब भी देखा तुमने मुझको, मुँह मोड़ लिया !
मैं तुम्हें दिख ना जाऊं कहीं, इसलिए तेरा शहर छोड़ दिया !
तेरा रास्ता मैं बार-बार पुल पे रोका करता था !
तू रुक ना जाये कहीं, इसलिए तेरा शहर छोड़ दिया !!
तेरा पीछा मैं रोज, छुपके-छुपके किया करता था !
मैं तेरे राज जान ना जाऊं कहीं, इसलिए तेरा शहर छोड़ दिया !!
मेरे सिवाय तुम सबसे, हंस के गले मिलते थे !
मैं तेरे गले लग ना जाऊं कहीं, इसलिए तेरा शहर छोड़ दिया !!
प्रमोद मौर्य "प्रेम"
very nice, bro!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
very nice, bro!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
लिखते रहिए!